
Lok Adalat Process: दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों में ट्रैफिक चालान एक आम समस्या बन चुके हैं। कभी हेलमेट भूल जाना, कभी सीट बेल्ट न लगाना, तो कभी रेड लाइट क्रॉस हो जाना—ऐसी छोटी-छोटी गलतियों पर चालान कट जाता है। कई बार ये चालान लंबे समय तक पेंडिंग पड़े रहते हैं और जुर्माने की रकम भी बढ़ती चली जाती है। ऐसे में वाहन मालिकों के लिए लोक अदालत (Lok Adalat) एक बड़ी राहत बनकर आती है। यहां ट्रैफिक से जुड़े कई छोटे मामलों को कम पैसों में या कभी-कभी पूरी तरह माफ भी कराया जा सकता है।
इस लेख में हम आसान और सरल भाषा में समझेंगे कि लोक अदालत में चालान कैसे माफ होता है, रजिस्ट्रेशन से लेकर सुनवाई तक का पूरा प्रोसेस क्या है, किन मामलों में राहत मिलती है और किन मामलों में बिल्कुल नहीं।
लोक अदालत क्या होती है?
लोक अदालत एक वैकल्पिक न्याय व्यवस्था है, जहां आपसी सहमति से मामलों का निपटारा किया जाता है। इसका मकसद अदालतों पर बढ़ते बोझ को कम करना और आम लोगों को जल्दी, सस्ता और आसान न्याय देना है। ट्रैफिक चालान जैसे छोटे मामलों के लिए लोक अदालत बेहद फायदेमंद साबित होती है।
यहां न तो लंबी तारीखें पड़ती हैं और न ही भारी-भरकम कानूनी फीस देनी होती है। कई मामलों में तो कुछ ही मिनटों में चालान का फैसला हो जाता है।
लोक अदालत में कौन-कौन से चालान माफ या कम हो सकते हैं?
लोक अदालत में आमतौर पर छोटे और गैर-गंभीर ट्रैफिक उल्लंघनों पर राहत मिलती है। जैसे—
- हेलमेट न पहनना
- सीट बेल्ट न लगाना
- रेड लाइट जंप करना
- गलत पार्किंग
- ओवर-स्पीडिंग
- गलत लेन में गाड़ी चलाना
- ट्रैफिक साइन को नजरअंदाज करना
- बिना नंबर प्लेट के गाड़ी चलाना
- बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना
- गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट न होना
- कई बार गलत तरीके से काटा गया चालान
इन मामलों में जज आपकी स्थिति देखकर चालान की रकम कम कर सकते हैं या कभी-कभी पूरा जुर्माना भी माफ कर दिया जाता है। हालांकि यह पूरी तरह जज के विवेक पर निर्भर करता है।
किन मामलों में लोक अदालत में बिल्कुल राहत नहीं मिलती?
यह समझना बहुत जरूरी है कि लोक अदालत हर मामले के लिए नहीं होती। गंभीर और जानलेवा मामलों में कोई छूट नहीं मिलती। जैसे—
- शराब पीकर गाड़ी चलाना (Drunk Driving)
- हिट एंड रन के मामले
- लापरवाही से हुई गंभीर दुर्घटना या मौत
- नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाना
- बिना वैध PUC के गाड़ी चलाना (दिल्ली में इस पर सख्ती है)
- अवैध रेसिंग या स्पीड ट्रायल
- क्रिमिनल एक्टिविटी में इस्तेमाल की गई गाड़ियां
- कोर्ट में पहले से पेंडिंग केस वाले चालान
- दूसरे राज्य में कटे चालान
इन मामलों को सामान्य अदालत में ही निपटाया जाता है। लोक अदालत सिर्फ छोटे और समझौते योग्य मामलों के लिए होती है।
लोक अदालत में चालान माफ करवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
लोक अदालत में जाने के लिए सबसे पहला और जरूरी कदम है ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन। दिल्ली में यह प्रक्रिया काफी आसान है।
रजिस्ट्रेशन का स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस:
- सबसे पहले दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं
traffic.delhipolice.gov.in - होमपेज पर Delhi State Legal Service Authority या लोक अदालत से जुड़ा विकल्प चुनें
- लोक अदालत टोकन रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलेगा
- इसमें अपनी जानकारी भरें—
- पूरा नाम
- मोबाइल नंबर
- वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर
- पेंडिंग चालान का विवरण
- सारी जानकारी चेक करने के बाद फॉर्म सबमिट करें
- सफल रजिस्ट्रेशन के बाद आपको टोकन नंबर और अपॉइंटमेंट लेटर SMS या ईमेल से मिल जाएगा
यह अपॉइंटमेंट लेटर बहुत जरूरी होता है, इसे संभालकर रखें।
लोक अदालत वाले दिन क्या-क्या साथ लेकर जाना होता है?
सुनवाई के दिन आपको कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट साथ ले जाने होते हैं—
- अपॉइंटमेंट लेटर और टोकन नंबर
- वाहन की RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट)
- ड्राइविंग लाइसेंस (DL)
- आधार कार्ड या कोई पहचान पत्र
- चालान की कॉपी (अगर उपलब्ध हो)
अधिकारियों की सलाह है कि आप अपने तय समय से कम से कम एक घंटा पहले कोर्ट पहुंच जाएं, ताकि लाइन या भीड़ की वजह से कोई परेशानी न हो।
कुछ लोक अदालत केंद्रों पर वॉक-इन की सुविधा भी होती है, लेकिन यह हर जगह लागू नहीं होती। इसलिए पहले जानकारी जरूर जांच लें।
लोक अदालत में सुनवाई कैसे होती है?
जब आपकी बारी आती है, तो आप जज के सामने पेश होते हैं। यहां कोई लंबी बहस नहीं होती। आपको बस विनम्रता से अपनी बात रखनी होती है—जैसे गलती मान लेना, आगे से नियमों का पालन करने का भरोसा देना।
जज आपकी गलती, चालान की प्रकृति और पिछला रिकॉर्ड देखकर फैसला लेते हैं। कई बार चालान की रकम काफी कम कर दी जाती है और कुछ मामलों में पूरी तरह माफ भी हो जाती है।
1 साल में कितनी बार लोक अदालत लगती है?
राष्ट्रीय लोक अदालत वर्ष में चार बार आयोजित की जाती है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में जिला स्तर पर लोक अदालतें पूरे वर्ष अलग-अलग कार्यक्षेत्रों में संचालित होती रहती हैं।
राष्ट्रीय लोक अदालतें एक ही दिन में देशभर में न्यायपालिका के सभी स्तरों—जैसे हाई कोर्ट, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग और ऋण वसूली अधिकरण—में आयोजित होती हैं, जिनका उद्देश्य बड़ी संख्या में मामलों का त्वरित और समयबद्ध निपटारा करना होता है।
लोक अदालत में जाने के फायदे
लोक अदालत का सबसे बड़ा फायदा यह है कि—
- छोटे चालानों पर भारी छूट या पूरी माफी मिल सकती है
- पेंडिंग मामलों का जल्दी निपटारा होता है
- कोई कोर्ट फीस या वकील का खर्च नहीं
- समय, पैसा और मानसिक तनाव—तीनों की बचत
- अदालतों का बोझ कम होता है
जरूरी बात जो याद रखें
यह बहुत जरूरी है कि लोक अदालत में चालान माफ होगा या नहीं, यह पूरी तरह जज के विवेक पर निर्भर करता है। कोई भी व्यक्ति इसकी गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन सही दस्तावेज और सही रवैये के साथ जाने पर राहत मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अगर आपके ऊपर ट्रैफिक चालान पेंडिंग हैं और वे गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं आते, तो लोक अदालत आपके लिए एक बेहतरीन मौका है। थोड़ी सी तैयारी और सही जानकारी के साथ आप न सिर्फ पैसे बचा सकते हैं, बल्कि कानूनी झंझट से भी छुटकारा पा सकते हैं।
लोक अदालत आम लोगों के लिए न्याय को आसान बनाने की एक अच्छी पहल है। बस जरूरी है कि आप नियमों को समझें और सही समय पर सही कदम उठाएं।












